जानें आई फ्लू के ट्रीटमेंट ( Eye Flu treatment ) लक्षण और बचाव के तरीके
पिछले एक महीने से भारत में मानसून के प्रवेश के साथ ही कई राज्यों में लगातार बारिश देखा जा रहा है | हालाँकि, इस वर्ष, मानसून न केवल फसलों को नुक्सान पंहुचा; इसके बाद बड़े पैमाने पर बाढ़ की परिस्थिती से कई क्षेत्रों में रोजमर्रा की गतिविधियां भी बाधित हुई और साथ ही बिमारियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है | इस दौरान आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस भी बहुत तेजी के साथ फैला है|
आज दिल्ली , हरयाणा, पानीपत , सोनीपत , पंजाब और उत्तरप्रदेश के कई जिलों में आई फ्लू का सक्रमण व्याप्त है इस वजह से राजधानी दिल्ली समेत अन्य कई प्रदेशों में सरकारी और निजी अस्पतालों में आँखों के इन्फेक्शन से पीड़ित मरीजों की बाढ़ सी आ गई है| दिल्ली NCR का पूरा छेत्र इस आई फ्लू से बुरी तरह से प्रभावित है और यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है|
आई फ्लू के लक्षण
- आँखों का लाल पड़ना
- आँखों से पानी बहना
- आंखों से चिपचिपा पदार्थ निकलना
- आँखों में दर्द होना
आई फ्लू के प्रकार
आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है|यह कई प्रकार का होता है। आइए इस चल रहे मानसून के दौरान सबसे प्रभावशाली प्रकारों के बारे में बात करें।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस : एडेनोवायरस सहित विभिन्न वायरस के कारण होने वाला कंजंक्टिवाइटिस अत्यधिक संक्रामक होता है और अक्सर श्वसन संक्रमण के साथ होता है। कुछ प्रमुख लक्षणों में आंखों से पानी निकलना और लालिमा भी शामिल है।
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस: मुख्य रूप से स्टैफिलोकोकस ऑरियस या स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया जैसे बैक्टीरिया के कारण होता है, इस प्रकार का कंजंक्टिवाइटिस भी अत्यधिक संक्रामक होता है। इससे आंख के किनारों पर गाढ़ा, पीला-हरा स्राव हो सकता है, साथ ही लाल या गुलाबी रंग का मलिनकिरण भी हो सकता है। नमी के स्तर में वृद्धि और बैक्टीरिया और वायरस के संदूषण के कारण मानसून के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस अधिक प्रचलित हो जाते हैं।
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस: इस प्रकार का आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस पराग, पालतू जानवरों की रूसी या धूल के कण जैसे एलर्जी से उत्पन्न होता है। यह दोनों आंखों को प्रभावित करता है और अत्यधिक खुजली, लालिमा और अत्यधिक आंसू का कारण बनता है।
आई फ्लू में डॉक्टर्स की राय
डॉक्टरों का मानना है कि आई फ्लू में ज्यादा घबराने की अवयशकता नहीं है, बल्कि इस सक्रमण में ज्यादा बचाव को लेकर जागरूक रहने की जरूरत है। सही आयुर्वेदिक नेत्र उपचार द्वारा आई फ्लू को कम किया जा सकता है। आई फ्लू में मरीज की आंख के सफेद हिस्से में संक्रमण होता है, जो सही उपचार द्वारा जल्द ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसमे गंभीर मरीजों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। यह बीमारी आँखों के संक्रमित हिस्से को छूने या मरीज के संपर्क में आने से जल्दी होता है। ऐसे में आपको अपना स्वयं बचाव और विशेष ध्यान रखना चाहिए।
आंखों के आई फ्लू से संक्रमित होने पर डॉ मनदीप सिंह बासु डॉ बासु हॉस्पिटल के डायरेक्टर का कहना है की इस साल मानसून में हुए बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति के कारण हमारे घरों में आने वाला पानी भी संक्रमित हो सकता है जिसकी वजह से यह लोगों में तेजी से फ़ैल रहा है | ऐसी स्थिति में आप सप्लाई में आने वाले पानी का डायरेक्ट उपयोग आँखों को धोने में बिलकुल भी न करें |
आयुर्वेदिक होम रेमेडीज
सबसे पहले आपको एक पतीले में आधा लीटर पानी लेना है और उसमें आधा चम्मच हल्दी मिला लेना है| फिर इस पानी को उबालकर एक चौथाई कर लेना है| जब पानी उबल जाए तो उसे ठंडा करके किसी शीशी में भर लें| इसे आई ड्रॉप (Eye Drop) की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है|
कैसे करे आई फ्लू का मैनेजमेंट इस मानसून के दौरान ?
तेजी से फैलने लगा है आई फ्लू, और इससे बचाव और राहत पाने के कई तरीके है
- हाथो द्वारा आंखों को बार-बार न छुएं
- ठंडे पानी द्वारा आँखों को बार-बार धोएं
- साबुन द्वारा हांथों को साफ करते रहे
- भीड़ वाली जगहों से दूर रहें
- आई फ्लू से इन्फेक्टेड व्यक्ति से दूर रहें
- तौलिया व रूमाल अलग रखें
- कॉन्टेक्ट लैंस का उपयोग न करें
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